माना राधा का प्रेम अकेला रह गया, पर आज भी कान्हा ने जब भी बजायी वंशी, बृज में मौसम र माना राधा का प्रेम अकेला रह गया, पर आज भी कान्हा ने जब भी बजायी वंशी, बृज ...
यह किस्सा आज भी अधूरा है, शायद मेरा एक हिस्सा तेरे से ही पूरा है। यह किस्सा आज भी अधूरा है, शायद मेरा एक हिस्सा तेरे से ही पूरा है।
खुद को झांक जरा अंदर आग काफी है जिंदगी में बस अब एक उड़ान बाकी है। खुद को झांक जरा अंदर आग काफी है जिंदगी में बस अब एक उड़ान बाकी है।
मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर
पत्थर की इस दुनिया में, पत्थर की इस दुनिया में,
वजूद वजूद क्या लगा रखा है तुमने ? तू एक कीड़ा है बस जमीं पर रेंगता रह... वजूद वजूद क्या लगा रखा है तुमने ? तू एक कीड़ा है बस जमीं पर रेंगता रह...